आगर के मंझधार समाचार
मुंगेली/ नगर पालिका अंतर्गत बालानी चौक का है मामला विवेकानंद वार्ड की पार्षद श्रीमती गायत्री आनंद देवांगन के द्वारा माता परमेश्वरी की मूर्ति को बालानी चौक में स्थापित करना चाहती हैं।
किसी भी मूर्ति की स्थापना के साथ कर्मकांड जुड़े होते हैं लेकिन संबंधित नगर पालिका ने प्रतिमा को शोपीस की तरह रखना चाहती हैं। शहर में तिराहे पर माता परमेश्वरी जी की मूर्ति लगाने के विवेकानंद वार्ड पार्षद के निर्णय को लेकर व्यापारियों औऱ काली मां समिति , दुर्गा उत्सव समिति ने विरोध कर कलेक्टर महोदय ,अनुविभागीय अधिकारी राजस्व,तहसीलदार, नगर पालिका अधिकारी को मूर्ति लगाने पर रोक को लेकर ज्ञापन सौंपा। लोगों ने बताया कि पार्षद पति आनंद देवांगन यहां आये दिन व्यापारियों व यहां निवासरत लोगों से दुकान के पास गेट निर्माण व मूर्ति लगवाने के चलते दबाव बना रहा है, जिसके चलते कोई भी विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकता है। आपको बता दें कि यह मूर्ति चयन स्थल बिलासपुर -पोंड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग 130ए, 6-7 फीट से लगा हुआ है । बालानी चौक पर विगत पचास (50) वर्षों से धार्मिक उत्सवों का आयोजन जैसे दुर्गोत्सव गणेशोत्सव,काली माता का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है इसके साथ ही राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त और 26 जनवरी का झंडा फहराया जाता है। नगर पालिका ने यहां पर वन-वे मार्ग का बोर्ड लगाया था । ट्रैफिक लोड अधिक रहता है, यह व्यस्त मार्ग होने के साथ यातायात की दृष्टि से इस तिराहे से शंकर मंदिर रोड़ पर आवागमन का आम रास्ता है।इस चौक पर समय -समय पर राजनैतिक और सामाजिक कार्यक्रम होते रहता है यहां पर रोजी- रोटी के साधन के रूप में दुकानें लगी हुई हैं मूर्ति स्थापित होने से दुकान दब जाएगा और दुकानदारों को आर्थिक रूप से क्षति पहुंचेगा। व्यवस्त मार्ग होने के नाते लोगो को पार्किंग की सुविधा मिल जाता है।
मूर्ति तिराहे सड़क पर लगाने से भगवान का अपमान होगा, भगवान की मूर्तियां तो मंदिर में स्थापित की जाती हैं न कि चौराहों तिराहे पर। अपने पार्षद निधि को वार्ड सौंदर्यीकरण में लगाये तो सुंदरता अपने आप दिखेगा। यदि नगर पालिका परिषद के चौक-तिराहे में भगवान की मूर्ति सौंदर्यीकरण के मद से या किसी भी निधि से स्थापित करती है तो यह मामला कितना अनुचित है समझने वाली बात है। अब देखते हैं अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद क्या क़दम उठाती है।
00 भारत संघ और अन्य बनाम गुजरात राज्य और अन्य, एसएलपी 8519/2006 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब से, राज्य सरकार सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, किनारे और अन्य सार्वजनिक उपयोगिता स्थान पर किसी भी मूर्ति की स्थापना या किसी भी संरचना के निर्माण के लिए कोई अनुमति नहीं देगी।
यह आदेश हाई मास्ट लाइट, स्ट्रीट लाइट या विद्युतीकरण, यातायात, टोल से संबंधित निर्माण या सड़कों, राजमार्गों, सड़कों आदि के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए और सार्वजनिक उपयोगिता और सुविधाओं से संबंधित निर्माण पर लागू नहीं होता है।00
00सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी 2013 को एक आदेश पारित करते सभी राज्यों को आदेश में कहा कि सार्वजनिक स्थानों चौक चौराहा या तिराहे पर किसी भी प्रकार से मूर्ति स्थापना,गेट निर्माण के लिए अनुमति नही दी जाए फिर उस आदेश की अवहेलना कैसे किया जा सकता है 00
00एक अन्य मामले में केरल के वकील ने एम टी जार्ज सुंदरम नादर की प्रतिमा अनावरण के अनुमति मांगी गई तो न्यायमूर्ति लोढ़ा ने पूछा आप बीच सड़क पर मूर्ति क्यो लगाना चाहते हो जो नेताओ का महिमा मंडन करने के बजाए गरीबों के उत्थान के लिए धन का उपयोग क्यो नही करते।00
00जस्टिस लोढ़ा ने कहा, "सार्वजनिक सड़क किसी की संपत्ति नहीं है। प्रत्येक नागरिक को सड़क का उपयोग करने का अधिकार था और मंदिर, मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारा का निर्माण करके या किसी सार्वजनिक व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करके इस अधिकार में हस्तक्षेप या बाधा नहीं डाली जा सकती है।"00
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